गणेश विसर्जन (Ganesha Visarjan) २०१९ का दिन और समय – महत्व और उत्सव
ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश मिठाईयों के शौकीन हैं और इस कारण से, विनायक को प्रभावित करने और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ भगवान को भेंट की जाती हैं। भक्त अपने प्रिय भगवान को प्रसन्न करने के लिए प्रतिदिन भोग अथवा प्रसाद तैयार करते हैं। मोदक, सटोरि, पूरन पोली, मोतीचूर लड्डू, नारियल चावल, श्रीखंड, केला शीरा, रवा पोंगल, मेदु वड़ा, पायसम आदि भोग के कुछ लोकप्रिय नाम हैं जिन्हें गणेश चतुर्थी त्यौहार के दिन भगवान गणेश को अर्पित किया जाता है।
जगह और परंपरा के आधार पर, गणपति विसर्जन के अगले साल लौटने के वादे के साथ, अंतिम दिन बहुत बड़े पैमाने पर उत्सव मनाया जाता है। क्योंकि इस दिन भक्त अपने पसंदीदा भगवान गणेश को विदाई दे रहे होते हैं इसलिए भक्तों में उल्लास और पूरे जलसे में भव्यता ही नजर आती है।
त्यौहार के ग्यारहवें दिन अर्थात भाद्रपद माह के चौथे दिन, अनंत चतुर्थी मनायी जाती है, पंचांग के अनुसार, यह त्यौहार अगस्त या सितंबर के महीने में आता है। इस उत्सव पर भगवान गणेश की मूर्तियों को घर में या विस्तृत पंडालों में अथवा अन्य विभिन्न स्थानों पर स्थापित की जाती हैं। उत्सव के अंतिम दिन, समुद्र अथवा जल निकाय में सर्वशक्तिमान भगवान गणपति के विशाल विसर्जन के साथ उत्सव का समापन होता है जिसमे भारी संख्या में श्रद्धालु सड़कों पर भव्यता और धूमधाम के साथ समारोह को मनाते हैं।
भगवान गणेश की मूर्तियों को उनके पूजा स्थल से विसर्जन स्थल तक ले जाया जाता है, इस त्यौहार की अत्यधिक लोकप्रियता के कारण, भारत के ऐसे राज्य जहाँ पर समुद्र या नदियां नहीं हैं, वहां के लोग भी कृत्रिम तालाबों का निर्माण करके उत्सव मनाते हैं, जो भगवान गणेश के प्रति लोगों में प्यार और भक्ति को दर्शाती हैं।
स्थानिक परम्पराओं के अनुसार गणेश चतुर्थी के तीसरे/पांचवे/सातवें दिन गणेश विसर्जन किया जाता है, नक्षत्र के अनुसार अनंत चतुर्थी २०१ ९, पूजा का समय और शुभ मुहूर्त:
>>अनंत चतुर्थी 2 सितंबर, 2019 दिन सोमवार को पड़ रही है।
>>गणेश विसर्जन 12 सितंबर 2019 से शुरू हो रही है।
- सुबह के 06:08 बजे से लेकर 7:40 बजे तक,
- दोपहर में 10:45 बजे से 3:32 बजे तक,
- शाम के पहले पहर में 4:54 बजे से 6:27 बजे तक,
- शाम के दूसरे पहर में 6:27 बजे से रात 22 बजे तक,
- रात 12:18 बजे से 1:45 बजे तक 13 सितंबर 2019 में
इस दिन (गणेश विसर्जन), सभी मानते हैं कि भगवान गणेश, अपने माता-पिता भगवान शिव और देवी पार्वती के साथ, कैलाश पर्वत से पृथ्वी पर विचरण करने आते हैं। इस उत्सव के माध्यम से, भक्त गणेश भगवान के आकार से निराकार की यात्रा के आध्यात्मिक और दिव्य रूपों के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं। हिंदू धर्म में, यह एकमात्र पर्व है जो सर्वशक्तिमान भगवान गणेश के दोनों रूपों अर्थात भौतिक रूप(आकार) एवंम आध्यात्मिक रूप (निराकार) के प्रति लोगों की श्रद्धा को दर्शाता है।यह उत्सव जन्म, जीवन और मृत्यु के चक्र के महत्व को दर्शाता है और इस तथ्य पर भी जोर देता है कि जीवन में सब कुछ डरावना है। गणपति को विघ्ना विधाता माना जाता है और यह मान्यता है कि भगवान गणेश विसर्जन के समय घर और परिवार की सभी बाधाओं को अपने साथ ले जाते हैं। यह शायद सबसे प्रमुख त्योहारों में से एक है जिसका समाज के हर वर्ग को बेसब्री से इंतजार रहता है।“ गणपति बप्पा मोरया ”